दुर्लभ बीमारी है डाउन सिंड्रोम, जानें इसके लक्षण, खतरा और उपचार का तरीका

दुर्लभ बीमारी है डाउन सिंड्रोम, जानें इसके लक्षण, खतरा और उपचार का तरीका

सेहतराग टीम

डाउन सिंड्रोम क्या है?

डाउन सिंड्रोम एक आनुवंशिक समस्या है, जो क्रोमोजोम की वजह से होती है। गर्भावस्था में भ्रूण को 46 क्रोमोजोम मिलते हैं, जिनमें 23 माता व 23 पिता के होते हैं। लेकिन,डाउन सिंड्रोम पीड़ित बच्चे में 21वें क्रोमोजोम की एक प्रति ज्यादा होती है, यानी उसमें 47 क्रोमोजोम पाए जाते हैं, जिससे उसका मानसिक व शारीरिक विकास धीमा हो जाता है। हर 800 में एक मासूम इस बीमारी का शिकार है। 35 वर्ष से अधिक आयु के दंपत्ति के 50 में से एक मासूम में यह बीमारी होती है। डाउन सिंड्रोम से पीड़ित 96 फीसदी मरीज ट्राइसोमी 21 के ही शिकार होते हैं। इसके अलावा ट्रांसलोकेशन डाउन सिंड्रोम और मोजेक डाउन सिंड्रोम भी होता है।

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डाउन सिंड्रोम से ग्रसित बच्चों की मांसपेशियां कम ताकतवर होती हैं। हालांकि उम्र बढ़ने के साथ मांसपेशियों की ताकत बढ़ती रहती है, लेकिन सामान्य बच्चों की तुलना में बैठना, चलना या उठना सीखने में ज्यादा समय लेते हैं। बौद्धिक, मानसिक व शारीरिक विकास धीमा होता है।

डाउन सिंड्रोम के लक्षण-

  • चपटा चेहरा, ख़ासकर नाक की चपटी नोक
  • ऊपर की ओर झुकी हुई आंखें या आंखों का तिरछापन
  • छोटी गर्दन और छोटे कान या इनकी सुनने-देखने की क्षमता कम होती है।
  • मुंह से बाहर निकलती रहने वाली जीभ या जीभ बड़ी होना
  • बच्चों की रीढ़ की हड्डी में भी विकृत हो सकती है। मांसपेशियों में कमज़ोरी, ढीले जोड़ और अत्यधिक लचीलापन
  • चौड़े, छोटे हाथ, हथेली में एक लकीर
  • अपेक्षाकृत छोटी अंगुलियां, छोटे हाथ और पांव
  • छोटा कद
  • आंख की पुतली में छोटे सफेद धब्बे
  • थॉयरॉयड
  • आंतों में संक्रमण
  • एनीमिया
  • मोटापा
  • कुछ बच्चों को पाचन की समस्या भी हो सकती है तो कई बच्चों को किडनी संबंधित परेशानी हो सकती है।

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ऐसे दंपत्ति के बच्चों को होता है खतरा-

  • देर से गर्भधारण इस बीमारी की सबसे बड़ी वजह मानी जाती है। 35 साल या उससे ज़्यादा उम्र की महिलाएं के गर्भधारण में संतान में डाउन सिंड्रोम का खतरा होता है।
  • अगर दंपत्ति के पहले बच्चे को डाउन सिंड्रोम है, तो दूसरे बच्चे में भी इसका खतरा बढ़ जाता है।
  • अगर माता पिता में से कोई डाउन सिंड्रोम से पीड़ित है तो उसकी संतान को डाउन सिंड्रोम हो जाने की आशंका ज्यादा रहेगी।

ऐसे किया जा सकता है ठीक-

  • डाउन सिंड्रोम बेबी को विशेष देखभाल की जरुरत होती है और यदि कुछ बातों का ध्यान रखा जाये तो यह भी सामान्य बच्चों की तरह सारे कार्य कर सकते है।
  • कभी भी Down Syndrome Ke Bache की तुलना सामान्य बच्चे से नहीं करना चाहिए इससे उनका मनोबल कम होता है।
  • यह बच्चे सामान्य बच्चों के मुकाबले बीमार जल्दी हो जाते है। डाउन सिंड्रोम बेबी को बिमारियों से बचाकर रखे। समय-समय पर टिके लगवाते रहे।
  • बच्चों को पोषक तत्व से भरपूर भोजन दे उनके पोषण का ध्यान रखे।
  • Down Syndrome Ke Bache को सामान्य बच्चों के साथ खेलने दे।
  • डाउन सिंड्रोम बेबी में मोटापे को ना बढ़ने दे। मोटापा दूसरी बिमारियों को भी जन्म दे सकता है। बच्चों को खेलों के लिए, डांस और उनकी पसंद के क्रियाकलापों में भाग लेने के लिए उन्हें प्रोत्साहित करे।
  • चमत्कारी उपचार पर गलती से भी विश्वास नहीं करना चाहिए।
  • बच्चों को कभी भी अपराधबोध नहीं करवाना चाहिए। उन्हें सकारात्मक सोचने के लिए प्रेरित करे और आप भी सकारात्मक सोच रखे। उनके साथ घुले-मिले और उन्हें भरपूर प्यार दे।
  • Down Syndrome Kids को अधिक सुरक्षा में ना बांधकर रखे।
  • दैनिक क्रियाओं के कामों को इन्हें खुद ही करने दे। जितना ज़रुरी हो उतनी ही सहायता करे। सामान्य जीवन में प्रयोग आने वाली वस्तुओं की पहचान कराये जैसे कपड़े, बर्तन, फल, पानी, अनाज आदि।
  • किसी भी तरह की गतिविधि में बच्चों को भी सहभागी बनाये जैसे – शादी, जन्मदिन पार्टी, धार्मिक स्थल, शॉपिंग आदि।
  • यदि आपके बच्चे को सामान्य वस्तुओं की पहचान है, वह दैनिक कार्यों को करने में सक्षम है और विद्यालय जाने की योग्यता रखता है तो उसे विद्यालय अवश्य भेजे।

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Conclusion:

यदि आपके परिवार में भी Down Syndrome Baby है तो उसकी ख़ास देखभाल करे। अपने बच्चों को शिक्षित करने और उनके विकास की ज़िम्मेदारी माता-पिता की ही सबसे ज्यादा होती है अर्थात डाउन सिंड्रोम बेबी को शिक्षा दे, उनकी ज़रूरतों का ध्यान रखे और समय पर चिकित्सक से जांच करवाते रहे। आपका प्यार, धैर्य और उम्मीद ही डाउन सिंड्रोम बेबी को बेहतर बनाये रखने में मदद करता है।

 

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